रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से महत्वपूर्ण सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत अब तक राज्य में निर्मित एवं सक्रिय रूप से संचालित 7836 गौठानों में से 2029 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं। स्वावलंबी गौठान गोबर खरीदी से लेकर वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के लिए स्वयं के पास उपलब्ध राशि का उपयोग करने लगे हैं। रायगढ़ जिले में सर्वाधिक 249 गौठान स्वावलंबी हुए है। दूसरे नंबर कबीरधाम जिले में 141 गौठान तथा तीसरे क्रम पर महासमुन्द जिले में 131 गौठान स्वावलंबी हुए है।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले में 25, धमतरी में 66, बलौबाजार में 84 तथा रायपुर जिले में 75, दुर्ग में 86, बालोद में 67, बेमेतरा में 58, राजनांदगांव जिले में 101, कोरबा में 103, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 25, जांजगीर-चांपा में 90, बिलासपुर में 76, मुंगेली में 60, कोरिया में 73, जशपुर में 70, बलरामपुर में 55, सरगुजा में 65, सूरजपुर में 53, कांकेर में 105, कोण्डगांव में 21, दंतेवाड़ा में 35, नारायणपुर में 6, बस्तर में 35, बीजापुर में 22 तथा सुकमा जिले में 52 गौठान स्वावलंबी बन चुके हैं।
गौरतलब
है कि राज्य
में पशुधन के
संरक्षण एवं संवर्धन
को बढ़ावा देने
के लिए राज्य
सरकार द्वारा अब
तक 10558 गांवों में गौठान
के निर्माण की
स्वीकृति दी जा
चुकी है। जिसमें
से 7836 गौठानों का निर्माण
पूरा हो चुका
है और वहां
पर गोबर खरीदी,
वर्मी कम्पोस्ट के
निर्माण सहित अन्य
आयमूलक गतिविधियां संचालित हो
रही है। वर्ममान
में 2392 गौठानांे का तेजी
से निर्माण कराया
जा रहा है
शेष 356 गौठानांे के निर्माण
का कार्य अभी
शुरू कराया जाना
है। गौठानों में
पशुधन के देखरेख,
चारे-पानी एवं
उपचार की व्यवस्था
सुनिश्चित की गई
है।
मुख्यमंत्री
भूपेश बघेल की
अपील पर पशुधन
के चारे के
लिए किसानों द्वारा
पैरा दान किया
जा रहा है।
अब तक 4 लाख
79 हजार 224 क्विंटल से अधिक
पैरा गौठानों में
दान के माध्यम
से संग्रहित किया
है। जिसका मूल्य
200 रूपए प्रति क्विंटल के
मान से 9 करोड़
58 लाख के लगभग
है। इसके अलावा
गौठानों में पशुओं
के लिए हरे
चारे के इंतजाम
के लिए हाईब्रिड
नेपियर ग्रास का रोपण
एवं अन्य चारे
की बुआई भी
की गई है।