"अमलीपदर के प्राचीनतम श्री जगन्नाथ मंदिर में अघन गुरुवार के अंतिम गुरुवार दिवस का समापन-पंडित भागवताचार्य श्री रामानुज युवराज पाण्डेय"।

 मकर ध्वज प्रधान 

मैनपुर(अमलीपदर)

मैनपुर(अमलीपदर)-उड़ीसा सिमा से लगे अमलीपदर के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में माँ अन्नपूर्णा व्रत धूमधाम से हुआ सम्पन्न।यहाँ पर अघन गुरूवार के रूप में माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना विधिवत की जाती है।प्रति वर्ष की भांति नवम्बर के माह का यह पर्व महिलाओं के लिए खास तौर पर होता है।क्योकि इस पर्व पर आने वाले गुरुवार सुबह4बजे माताए उठ कर नित्यकर्म (नहा धोकर) होकर पूजा अर्चना करने की सदियों पुरानी परंपरा है।लगभग एक महीना का व्रत होता है, जिन्हें महिलाएँ बहुत नियमों से बन्ध कर पालन करती है।इस दौरान माताए एकजुट होकर किसी जानकर ब्राम्हण से किसी एक जगह बैठ कर कथा यानी माँ लक्ष्मी जी की पुराण का श्रोतपूर्ण आनन्द लेते व विधियों का व्रत के दौरान पालन करते हैं।खास बात इस पूजा की है कि पति की सेवा भाव के बिना अधूरा माना जाता है।पूजा के लिए मिठाई युक्त व्यंजन चावल, गुड़, मुगफली, तिल, व अन्य मिश्रण कर तैयार किया जाता है, जो वर्ष में एक ही बार बनता है।इस पर्व की व्रत विधि पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं।इन दिनों शक्ति की मूर्तियां स्थापित कर आसपास के कई गॉव में  हर्षोल्लास के साथ प्रति वर्ष व्रत पर्व पालन करते हैं।

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