भारत की दूसरी सबसे बड़ी गुफा खुलेगी आज- साल में केवल एक बार ही होते हैं गुफा में शिव जी के दर्शन

 



छत्तीसगढ़ राज्य में प्राकृतिक धरोहरों का भंडार है। यहां कई घने जंगल, झरने, नदियां, पहाड़ और कई गुफाएं हैं। लेकिन खैरागढ़ जिले के घने जंगल में स्थित मंडीप खोल गुफा, विश्व की 6वीं और भारत की दूसरी सबसे बड़ी (गहरी और लंबी) गुफा मानी जाती है। मंडीप खोल गुफा में भक्ति और प्रकृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है। भगवान शिव को समर्पित यह प्राकृतिक गुफा साल में केवल एक बार ही खुलती है। इस बार मंडीप खोल गुफा 13मई (सोमवार) को खुलने वाली है। बता दें, खैरागढ़ जिले के छुईखदान विकासखण्ड के ग्राम ठाकुरटोला के समीप घने जंगलों के बीच मंडीप खोल स्थित है। इस गुफा को हर साल अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को पर्यटकों के लिए खोला जाता है। 


जिसमें अन्य राज्यों के पर्यटक भी भारी संख्या में मंडीप खोल गुफा को देखने पहुंचते हैं। गुफा दर्शन को लेकर खास तैयारियां इस खास गुफा को खोलने से पहले यहां पर्यटकों के लिए सुरक्षा और जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। खैरागढ़ कलेक्टर चन्द्रकांत वर्मा ने शनिवार को मंडीप खोल गुफा और आस-पास के कई स्थानों का निरीक्षण किया। उन्होंने गुफा खोलने से पहले साफ-सफाई, सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा कलेक्टर ने वन विभाग के अधिकरियों को बांस तथा बल्लियों के बैरिकेटिंग तैयार करने के निर्देश दिए, जिससे गुफा के अंदर श्रध्दालु क्रम अनुसार प्रवेश कर सके। सेतगंगा कुड का पानी गंगा की तरह शुद्ध बता दें, यहां आने वाले पर्यटक सर्वप्रथम सेतगंगा के नाम से प्रचलित कुंड पर स्नान के बाद मंडीप खोल गुफा के अंदर शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं। 


सेतगंगा कुड की ऐसी मन्याता है कि, यह का पानी गंगा जल की तरह शुध्द है, जो कभी खराब नहीं होता और ना ही इस जल में कीड़े लगते हैं। चमगादड़ गु्फा ठाकुरटोला के सरपंच ने बताया कि यही सेतगंगा कुंड के अंदर चमगादड़ गुफा के नाम से विख्यात गुफा है। जिसमें हजारों की संख्या में चमगादड़ रहते हैं। जहां दिन में भी काफी अंधेरा होता है, यहां के पत्थरों पर टॉर्च की रौशनी तारों की तरह प्रतीत होता है। गुफा की कई हिस्से अब तक अनछुए पंडित राधामोहन ने बताया कि यह गुफा विश्व की छठवीं और भारत की दूसरी सबसे बड़ी गुफा है। गुफा का अंतिम हिस्सा आज तक अबूझ है। इसके साथ ही गुफा के अधिक गहराई में जाने पर तालाब जैसे कुंड होना बताया जाता है।

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