महासमुन्द 18 दिसम्बर 2019/ राज्य शासन की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के तहत् गांव की संस्कृति विरासत को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा योजना प्रारंभ की गई है। महासमुंद विकासखण्ड के आदर्श गौठान कछारडीह का माह नवम्बर के प्रथम सप्ताह में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी द्वारा भ्रमण के दौरान दिए गए निर्देशों के परिपालन में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ रवि मित्तल के सहयोग से गौठान में स्थापित वर्मीबेड को शीघ्र भरकर वर्मी खाद उत्पादन किया जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद के साथ-साथ स्व सहायता समूह को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण भी आयोजित किया जा रहा है।
वर्तमान में सभी वर्मीबेड का भराव कर के वर्मी खाद का उत्पादन किया जा रहा है। गौठान के कामधेनु महिला स्व सहायता समूह वर्मी खाद बनाकर अपनी आर्थिक स्थिति विकसित करने के लिए वर्मीखाद का उत्पादन कर रही है। महिला समूह के सभी सदस्य परस्पर तालमेल बनाकर खाद बनाने का कार्य नियमित रूप से कर रहे है। इस कार्य में गौठान में उपलब्ध फसल अवशेष, गोबर एवं पत्तों का उपयोग कर कम लागत में वर्मी खाद तैयार किया जा रहा है, जो कुछ दिनो बाद जैविक खाद के रूप में तैयार हो जाता है। कामधेनु महिला स्व सहायता समूह द्वारा लगभग 16 क्विंटल केचुआं खाद तैयार किया जा चुका है। जिसका अनुमानित मूल्य 16 हजार रूपए है। इस काम से समूह की सभी महिलाएं खुश है। समय के साथ आमदनी का स्त्रोत बना हुआ है एवं समूह आत्म निर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है। कछारडीह गौठान में जैविक खाद बनाने के लिए दो सेड बनाये गए है, प्रत्येक सेड में 10-10 वर्मीबेड लगाए गए है। वर्मीबेड में गोबर पैरा एवं पत्ते को एक साथ एकत्रित किया गया है, जिसमें कृषि विभाग द्वारा प्रत्येक वर्मीबेड में पांच किलोग्राम केचुएं का उपयोग किया गया है, जिससे वर्मी खाद उत्पादन का कार्य सतत् चल रहा है।