˝लेप्रोसी के मरीज को छुआछूत, कोढ़ और सामाजिक बहिष्कार का सामना करने से बचाने, अब भ्रांति को दूर कर नई जनरेशन सीख रही है पहचान और उपचार की बारीकियां˝

कुष्ठ रोग से लड़ने बच्चों की ब्रिगेड तैयार
स्कूली बच्चों ने पहचाने कुष्ठ रोग और निवारण के लक्षण

महासमुन्द 19 दिसम्बर 2019/संक्रामक बीमारी होने के बावजूद यह छूने या हाथ मिलाने, उठने-बैठने से नहीं फैलती, लेकिन रोगी के आस-पास सांस लेते समय इसके फैलने की संभावनाएं प्रबल होती जाती हैं। यह भी संभव है कि लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक साथ रहने से परिवार के सदस्य भी इसकी चपेट में आ जाएं। किन्तु, इससे बचने और निपटने के उपाए भी सरल हैं। इन्हीं समाधानों के साथ जिला अस्पताल के कुष्ठ रोग विभाग ने गुरूवार को एक अनोखी जागरूकता कार्यशाला आयोजित की। जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एसपी वारे के निर्देशन व जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्री संदीप ताम्रकार के मार्गदर्शन में श्री एकेश्वर शुक्ला शासकीय प्राथमिक शाला कुनीवारा पहुंचे। बच्चों से रूबरू होते हुए उन्होंने उक्त विषय पर अधिकांश भ्रांतियां दूर कीं। श्री शुक्ला ने बच्चों को न केवल कुष्ठ रोग के लक्षण व पहचान के तरीके बतलाए बल्कि उन्हें इससे बचने और पीड़ितों के निदान के लिए शासन द्वारा प्रदत्त निशुल्क सुगम व सरल मार्ग भी प्रशस्त किया। उन्होंने बताया कि नियमित रूप से उपचार कराने और समुचित बचाव हेतु एमडीटी अर्थात बहु-उद्देशीय उपचार (संबंधित दवा) का कोर्स पूरा करने पर इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसलिए हम सभी को नैतिकता के आधार पर इससे पीड़ित लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक हवा जनित संक्रामक रोग है, जिसे हैनसेन रोग भी कहा जाता है। यह रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्रे बैक्टीरिया के फैलने से होता है। लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके श्वसन तंत्र से निकलने वाली जल की बूंदों में लेप्रे बैक्टीरिया हवा के साथ मिलकर दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं। प्रारंभिक चरण में लेप्रोसी के लक्षणों की अनदेखी करने से व्यक्ति अपंगता का शिकार भी हो सकता है। यह संक्रामक है, पर यह लोगों को छूने, साथ खाना खाने या रहने से नहीं फैलता है। अपितु, लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से इससे संक्रमण हो सकता है। अगर, मरीज को नियमित रूप से दवा दी जाये, तो इसकी आशंका भी समाप्त हो जाती है। इस दौरान डॉ शुक्ला के साथ स्वास्थ्य विभाग के शासकीय सामाजिक कार्यकर्ता असीम श्रीवास्तव सहित विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे। आयोजन में विद्यालय की प्राचार्या श्रीमति आर गुरुदत्ता एवं शिक्षिका श्रीमति नर्मता तारक व श्रीमति टेकेश्वरी साहू का योगदान उल्लेखनीय रहा।
मेडल पाकर बच्चों ने ली स्वस्थ रहने की शपथ
कार्यशाला में ब्लैक बोर्ड में लिख कर महत्वपूर्ण बिंदुओं का अभ्यास किया गया। सवाल जवाब प्रतियोगिता में विजयी रहे छात्र-छात्राओं में क्रमशः श्री मोंटू, श्री जितेंद्र एवं कु. माया को कुष्ठ रोग विभाग की ओर से मेडल प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। उत्साहवर्धन पश्चात बच्चों सहित विद्यालय प्रबंधन ने स्वयं को स्वस्थ रहने के साथ-साथ अपने परिजनों को भी स्वस्थ रखने की शपथ ग्रहण की।
आइए पहचाने लक्षण और कारण
लेप्रोसी के प्राइमरी स्टेज में लेप्रे बैक्टीरिया शरीर के हाथ, पैर, मुंह जैसे एक्पोज या खुले अंगों को प्रभावित कर ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित करता है। प्रभावित अंग सुन्न होने के साथ त्वचा का रंग से हल्का भी पड़ने लगता। पीड़ित को ठंडे-गर्म का एहसास नहीं होता। छाले पड़ने के साथ अस्थि विकार व आकार बदलना जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
6 से 12 महीने में पूरी तरह ठीक हो सकता है कुष्ठ रोग
कुष्ठ रोग निवारण दवा अर्थात एमडीटी दवा सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में बिल्कुल मुफ्त दी जाती हैं। जल्द डायग्नोस्ट होने पर समुचित उपचार और जरूरी सावधानियां रखते हुए दवा का कोर्स पूरा करके मरीज 6-12 महीने में पूर्णतः ठीक हो जाता है।
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