इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी को लगने वाला है।सूतक समय को शास्त्रों में अशुभ मुहूर्त माना जाता है। इसका मतलब है कि इस समय व्यक्ति को कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इतना ही नहीं इस खास समय भगवान की पूजा भी नहीं की जाती है। धार्मिक नियमों के अनुसार सूर्य ग्रहण के 12 घंटे से पहले ही सूतक लग जाता है, यही वजह है कि इस दौरान मंदिरों के पट भी बंद रहते हैं।ग्रहण के समय कहा जाता है कि पूजा पाठ नहीं करना चाहिए।
कई वैज्ञानिक शोध में इस बात का खुलासा कर चुके हैं कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल हो जाती है। ऐसे में पेट में दूषित भोजन और पानी जाने पर बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। कुशा और तुलसी में ग्रहण के समय पर्यावरण में फैल रहे जीवाणुओं को संग्रहित करने की अद्भुत शक्ति होती है।
शारीरिक संबंध
सूतक के समय कभी भी पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। कहा जाता है कि इस समय बनाए गए शारीरिक संबध से पैदा हुए बच्चे को जीवन भर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ग्रहण की छाया
चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से ग्रहण की छाया पड़ने से बचना चाहिए । ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणें बेहद हानिकारक होती हैं जिसका प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ सकता है।
क्या न करें-
-ग्रहण के दौरान सिर पर तेल लगाना, खाना खाना और बनाना, वर्जित होता है। माना जाता है पका हुआ भोज्य पदार्थ ग्रहण लगने तक पूरी तरह से जहर में बदल जाता है।
-चंद्र ग्रहण के दौरान वायुमंडल में बैक्टीरिया और संक्रमण का प्रकोप तेजी से बढ़ जाता है। ऐसे में भोजन करने से संक्रमण अधिक होने की आशंका रहती है। इसलिए ग्रहण के दौरान भोजन खाने से बचना चाहिए।
-ग्रहण के समय पति और पत्नी को शारीरिक संबंध किसी भी कीमत पर नहीं बनाना चाहिए। इस दौरान यदि गर्भ ठहर गया तो संतान विकलांग तक या मानसिक रूप से विक्षिप्त तक हो सकती है।
-ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।